राजस्थान : देखने को मिला इंसानियत और अमानवीयता का संगम, सड़क हादसे में 1 युवक की मौत दूसरे को बचाया गया

By: Ankur Fri, 06 Nov 2020 12:25:25

राजस्थान : देखने को मिला इंसानियत और अमानवीयता का संगम, सड़क हादसे में 1 युवक की मौत दूसरे को बचाया गया

इस कोरोना काल में जहां एक तरफ लोग दूसरों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं तो कई लोग दूसरों से किनारा कर रहे हैं और मदद के लिए हाथ भी नहीं बढ़ा रहे हैं। इसी इंसानियत और अमानवीयता का संगम देखने को मिला कोटा-चित्तौड़ हाइवे पर गुरुवार देर रात एक दर्दनाक सड़क हादसे में जहां एक युवक विष्णु पुत्र नंदबाबू उम्र 34 साल निवासी टीचर्स कॉलोनी केशवपुरा की मौत हो गई। जबकि दूसरे युवक को अस्पताल में भर्ती करवाया है, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। एमबीएस अस्पताल में मौजूद पुलिस स्टाफ ने बताया कि दूसरे युवक को परिजन निजी अस्पताल में ले गए हैं।

यह सड़क हादसा मिनीडोर द्वारा बाइक को टक्कर मारने की वजह से होना सामने आया है। कुन्हाड़ी पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। गवर्नमेंट कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सचिन चौधरी जयपुर से कोटा आ रहे थे। उन्होंने रात को दो युवकों को वहां घायल अवस्था में पड़े हुए देखा तो हादसे का पता चला। चौधरी व उसके दोस्तों ने मौके पर 108 एंबुलेंस को बुलाया और दोनों को अस्पताल पहुंचाया, जिस वजह से एक युवक की जान बच गई।

सचिन चौधरी ने बताया कि मैं गुरुवार रात दोस्तों के साथ जयपुर से कार से कोटा आ रहा था। चित्तौड़ रोड के पास आया तो फ्लाईओवर से 1 किमी पहले सड़क पर 1 मिनीडोर दिखा। हमने गौर नहीं किया और आगे बढ़ गए। थोड़ी दूर रोड पर 1 बाइक क्षतिग्रस्त दिखी। जिसे देखकर लगा कि कोई भीषण हादसा हुआ है। मिनीडोर देखकर हादसे का अंदाजा हो गया। लेकिन, मौके पर कोई नहीं पाकर समझे कि किसी ने घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया होगा। हम गाड़ी में 5 दोस्त बैठे हुए थे, पांचों ने आगे चलना तय किया।

गाड़ी स्लो कर रखी थी तो कुछ दूरी पर देखा एक जूता हमें सड़क पर दिखा। जूते को देखकर दोस्तों ने कहा िक, हो ना हो कोई ना कोई व्यक्ति यहां जरूर होगा। पांचाें दोस्त गाड़ी से उतरे और मोबाइल टार्च की रोशनी से देखा तो रोड के नीचे 15 फीट गहरी खाई में दो युवक हमें दिखाई दिए। जिन्हें दोस्त गोपेंद्र नागर, जितेंद्र चौधरी, अजय नागर, मंथन चौधरी ने खाई में उतरकर निकाला। तत्काल कुन्हाड़ी थाने पर संपर्क किया लेकिन, फोन नहीं लग सका। नेटवर्क प्रॉब्लम की वजह से किसी को फोन नहीं लग सका था। बमुश्किल फोन लगने शुरू हुए तो सोशल मीडिया के माध्यम से 108 एंबुलेंस माैके पर बुलाई।

कोरोना की वजह से कोई हाथ तक नहीं लगा रहा था 108 एंबुलेंस आने में 30 मिनट लग गए। इतनी देर में राहगीरों को रुकने को बोला, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। 108 एंबुलेंस आई तो वे भी घायलों को ले जाने को तैयार नहीं था। बोले जब तक कोरोना जांच नहीं होगी, हाथ नहीं लगाएगा। एंबुलेंस में भी सिर्फ 1 व्यक्ति आया, कोई साथ नहीं था।

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